अजमेर की 5 साल की बेटी ने विदेश में किया कमाल। वहां जाकर सेव द वाटर का संदेश दिया। लिविंग पीस प्रोजेक्ट्स फाउंडेशन की ओर से नीदरलैंड के पीस पैलेस में हुई वाटर ऑफ ऑल कांफ्रेंस में 7 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत से अजमेर की बेटी सैय्यदा समर चिश्ती भी शामिल थी। 5 से 25 वर्ष की आयु के इन प्रतिभागियों ने पानी के महत्व पर स्पीच दी। दरअसल, सैय्यदा अजमेर के आसपास स्थित गांवों में जाकर पानी बचाने का मैसेज देती है।
कौन है समर चिश्ती ?
समर चिश्ती अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख और चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष सैयद सलमान चिश्ती की बेटी है। सलमान चिश्ती ने बताया कि फाउंडेशन की ओर से सेव द वाटर के लिए जागरूक करने वालों की एंट्री मांगी गई थी। इसके लिए समर चिश्ती का वीडियो संदेश भेजा गया। इसके लिए उसका सलेक्शन इस कांफ्रेंस के लिए हुआ। समर पिछले दो साल से पानी के महत्व व बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने में रूचि दिखा रही है। वह एक निजी स्कूल की प्रेप स्कूल में पढ़ रही है। उसकी मां सैय्यदा सहर चिश्ती सोफिया कॉलेज से ग्रेजुएट है और वह उसे इसके लिए मोटिवेट कर रही है। फाउन्डेशन की ओर से पांच साल यह आयोजन हो रहा है। देश से पहली बार किसी पांच साल की बच्ची ने अपना प्रजैंटेशन दिया।
कांफ्रेस में यह दिया संदेश
समर ने कांफ्रेस में अपने संदेश में कहा कि पानी ही जीवन है। इसके बिना जीवन सम्भव नहीं। पानी गॉड गिफ्ट है। पानी की एक एक बूंद को बचाना चाहिए। पानी का उपयोग बहुत ही सावधानी से करें। यदि आप पानी बचाएंगे तो पानी आपको बचाएगा। इससे पहले एन्ट्री में भेजे गए वीडियो संदेश में भी समर ने यही कहा।
अजमेर के बिठूर गांव में जाकर किया जागरूक...
सलमान चिश्ती ने बताया कि वर्ल्ड वाटर डे पर पिछले साल पास ही के गांव बिठूर (अजमेर) में समर चिश्ती ने जाकर लोगों को सेव द वाटर व हाइजीन के लिए प्रेरित किया। हाथ धोने के लिए जागरूक या और इससे होने वाले फायदों के बारे में बताया। इसी तरह कई गावों में कैंपेन चलाया।
अजमेर से भी लेकर गईं पानी...
वाटर फॉर ऑल सम्मेलन के दौरान 18 पवित्र जलस्रोतों से लाये गये जल को मिलाया गया, जो आध्यात्म, सृजन और मानवता के एकाकार का प्रतीक है। इस विलय किये गये जल को पेंडेंट में डालकर वॉटर पेंडेंट बनाया। इसमें गंगा, यमुना, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, करनाली, इमेक, मिसीसिपी, राइन, जॉर्डन, मानसरोवर झील, काली बेन, नील, अमेजन, अजमेर शरीफ के जल, मक्का के जल और नक्की झील के पानी को मिलाया गया था।
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